कांकेर लोकसभा से इनका नाम लगभग तय, हो सकते है सांसद प्रत्याशी
कांकेर लोकसभा हेतू दो में से एक प्रत्याशी भोजराज नाग का नाम में है जो महाराष्ट्रीयन गोड़ है, जो मूल आदिवासी में नही आता। इनके समाज की आबादी कांकेर लोकसभा में 100 लोगों की भी नही है। भोजराज नाग ,नरसो बाई गोड़ के बलात्कार व अपहरण कांड के मुख्य आरोपी है। पीड़िता नरसो बाई गोड़ का अभी तक कोई पता नही चल पाया है।
जिससे आदिवासी समाज अत्यंत आक्रोशित है। भोजराज नाग मूल नही होने के कारण छत्तीसगढ़ के आदिवासी स्वीकार नही कर पाते। जिस कारण से वें धर्मांतरित हो रहे मूल आदिवासी समाज के बीच हिंदुत्व की बात नही रख पाते। और ना ही मूल आदिवासी समाज के बीच इनकी पूछ परख होती है।
अगर इनको टिकट मिलता है तो 2022 के भानुप्रतापपुर उपचुनाव में जिस तरह दाग लगे के बाद ब्रम्हानंद नेताम को हार और विरोध का सामना करना पड़ा था। उसी तरह भोजराज नाग को अकल्पनीय विरोध का सामना करना पड़ सकता है। सन् 2014 के उपचुनाव में भोजराज नाग ने अपने ऊपर कोई प्रकरण दर्ज नहीं है कहकर चुनाव लड़ा था।
दूसरा नाम विकास मरकाम का भी है। ये मध्यप्रदेश के गोड़ है। जिनकी कांकेर लोकसभा के निवासी होने में भूमिका संदिग्ध है। वे चुनाव के वक्त जिस विधानसभा से प्रत्याशी हेतू टिकट मांगते है वही का स्वयं को मूल निवासी बताते है। जब वें संजारी बालोद विधानसभा से टिकट तब वें कुलिया बालोद का मूल निवासी बताते है।
जब सिहावा विधानसभा से टिकट की मांग करते है तब स्वयं को नगरी का मूल निवासी बताते है। जब प्रदेश का कोई पद चाहिए रहता है तो रायपुर का निवासी बताते है। इनका कांकेर लोकसभा में कोई रोटी बेटी का संबंध नही है। इसी तरह इनकी भूमिका संदिग्ध है। विकास मरकाम का आदिवासियों तथा क्षेत्रवासियों के बीच विशेष लोकप्रियता व प्रभाव नहीं है।
पूर्व में उनके खिलाफ एक अधिकारी के खिलाफ झूठे प्रकरण में आरोप लगवाया था । सबूत नहीं मिलने पर शिकायत वापस लिया गया ।दोनों के नाम में किसी का नाम अगर फाइनल होता है तो भारतीय जनता पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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